
अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद को सुलझाने के लिए भारत ने एक नया दांव खेला है। अब भारत ने वॉशिंगटन में एक लॉबिंग फर्म – Mercury Public Affairs की मदद लेने का फैसला किया है।
क्या है पूरा मामला?
पिछले कुछ महीनों से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में खटास देखने को मिल रही थी। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारतीय उत्पादों पर ऊँचे टैरिफ लगाए, जिससे भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
इसी पृष्ठभूमि में भारत सरकार ने यह रणनीति बनाई है कि एक अमेरिकी लॉबिंग फर्म की मदद से सीधे व्हाइट हाउस और अमेरिकी व्यापार विभाग तक अपनी बात मजबूती से पहुंचाई जाए।
क्यों चुनी गई लॉबिंग फर्म?
- अमेरिका में लॉबिंग फर्में सरकारी नीतियों को प्रभावित करने का काम करती हैं।
- इन फर्मों के पास सीधी पहुंच और नेटवर्क होता है, जिससे भारत अपनी चिंताओं और सुझावों को बेहतर ढंग से रख सकेगा।
- इससे दोनों देशों के बीच टैरिफ विवाद को कम करने और व्यापार को पटरी पर लाने की उम्मीद है।
भारत को क्या फायदा होगा?
अगर यह रणनीति सफल रहती है तो –
- भारतीय उत्पादों पर लग रहे ऊँचे टैरिफ कम हो सकते हैं।
- अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्ते फिर से मजबूत होंगे।
- भारतीय कंपनियों को अमेरिकी बाजार में बड़ी राहत मिलेगी।
निष्कर्ष
भारत का यह कदम दिखाता है कि वह अब अपनी आर्थिक और कूटनीतिक ताकत को साथ लेकर चल रहा है। वॉशिंगटन में बनाई गई यह नई रणनीति आने वाले समय में भारत-अमेरिका रिश्तों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है।