
सायप्रस में भारत की रणनीतिक दस्तक!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सायप्रस दौरा कोई सामान्य कूटनीतिक यात्रा नहीं थी — यह सीधा संदेश था तुर्की के बढ़ते हस्तक्षेप को।
तेज धूप, भूमध्यसागरीय हवाएं और स्वागत में बिछा लाल कालीन — लेकिन सायप्रस में मोदी के कदमों की गूंज अंकारा तक सुनाई दी।
🧭 तुर्की-सायप्रस विवाद: एक पृष्ठभूमि
- तुर्की लंबे समय से उत्तरी सायप्रस पर अवैध सैन्य कब्जा बनाए हुए है।
- ग्रीस समर्थित सायप्रस सरकार ने इसे संयुक्त राष्ट्र में बार-बार मुद्दा बनाया।
- भारत अब इस विवाद में “मूक दर्शक” नहीं रहा।
🛡️ मोदी की नपी-तुली कूटनीति:
🔹 “संप्रभुता का सम्मान ही स्थायी शांति की बुनियाद है।”
— प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सायप्रस संसद में
🔹 साझा डिफेंस ट्रेनिंग, साइबर सुरक्षा और ऊर्जा सेक्टर में सहयोग पर भी बातचीत हुई।
🔹 भारत ने स्पष्ट किया:
“सायप्रस की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन भारत की विदेश नीति का हिस्सा है।”
🧠 विश्लेषण: क्यों यह दौरा ऐतिहासिक बन गया?
🔺 भारत पहली बार खुलकर सायप्रस के पक्ष में खड़ा हुआ।
🔺 तुर्की के “नव-उस्मानी” विस्तारवाद को कड़ी चुनौती।
🔺 रूस और यूरोपीय यूनियन की नजरें भी अब भारत के रुख पर।
🌐 दुनिया की प्रतिक्रिया:
🇹🇷 तुर्की: “भारत को गैर-जरूरी मामलों में नहीं पड़ना चाहिए।”
🇬🇷 ग्रीस: “भारत का यह स्टैंड स्वागत योग्य और ऐतिहासिक है।”
🇺🇸 अमेरिका: “मोदी की एक्ट ईस्ट पॉलिसी अब एक्ट वेस्ट भी बन रही है।”
PM मोदी का सायप्रस दौरा 2025 | तुर्की को सीधा कूटनीतिक संदेश | भारत ने लिया सख्त रुख
प्रधानमंत्री मोदी का सायप्रस दौरा बना तुर्की को जवाब देने का मंच। भारत ने पहली बार खुलकर सायप्रस की संप्रभुता का समर्थन किया। जानिए पूरी रिपोर्ट, राजनयिक संकेत और विश्व की प्रतिक्रियाएं।