
क्रिकेट के दादा कहे जाने वाले सौरव गांगुली ने हाल ही में अपने एक इंटरव्यू में BCCI सचिव जय शाह को लेकर एक अहम और चौंकाने वाला बयान दिया है। गांगुली ने कहा कि उन्होंने जय शाह को लेकर एक अलग धारणा बनाई थी—कि वो बेहद सख्त और जिद्दी होंगे। लेकिन जब उन्होंने नजदीक से काम किया, तो उनकी सोच बदल गई।
गांगुली ने कहा:
“मैंने उनके बारे में जो सोचा था, वो उनसे बिल्कुल अलग निकले। मुझे उम्मीद थी कि वो बेहद सख्त रवैया रखने वाले होंगे, लेकिन वो बेहद ईमानदार, संयमी और प्रोफेशनल व्यक्ति हैं।”
👉 यह बयान सिर्फ एक व्यक्तिगत अनुभव नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अंदर की कार्यशैली और तालमेल को भी दर्शाता है।
सौरव गांगुली के मुताबिक:
- जय शाह किसी भी निर्णय को बिना दबाव के और स्पष्ट सोच के साथ लेते हैं।
- वह क्रिकेट की बारीकियों को समझते हैं, और राजनीति से ज्यादा प्रक्रिया पर विश्वास करते हैं।
- वह हर स्तर पर संवाद करने वाले और सुनने वाले नेता हैं।
🔶 गांगुली और जय शाह की जुगलबंदी
जब सौरव गांगुली BCCI अध्यक्ष थे और जय शाह सचिव—तब भारतीय क्रिकेट में कई अहम फैसले लिए गए:
📌 महिला IPL की योजना
📌 घरेलू क्रिकेट का पुनर्गठन
📌 खिलाड़ियों की फीस और अनुबंध सुधार
📌 बायो-बबल में क्रिकेट का संचालन
इन सब में गांगुली का मानना है कि जय शाह की सोच “आधुनिक, व्यावसायिक और भारतीय क्रिकेट के हित में” रही।
🔷 क्यों अहम है ये बयान?
क्रिकेट प्रशासन में अकसर आपसी टकराव और मतभेद की बातें सामने आती हैं। ऐसे में गांगुली का यह बयान यह दर्शाता है कि BCCI के शीर्ष नेतृत्व में व्यावसायिक संतुलन और पारदर्शिता मौजूद रही है।

🔶 निष्कर्ष:
सौरव गांगुली का यह बयान ना सिर्फ जय शाह की छवि को मजबूती देता है, बल्कि BCCI के अंदर नए दौर की पारदर्शी लीडरशिप को भी सामने लाता है।
जब दादा जैसे क्रिकेटर जय शाह की तारीफ करते हैं, तो यह निश्चित रूप से बोर्ड के अंदर स्वस्थ और सकारात्मक नेतृत्व की निशानी है।